जि हा नाम निहाद ऐह्ले हदीस अँग्रेज़ कि पैदावर है
जि हा नाम निहाद ऐह्ले हदीस अँग्रेज़ कि पैदावर है
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सब से पेहेली बात जो हम हमेशा से केहते आये है
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ये नाम निहाद ऐह्ले हदीस जो अँग्रेज़ की पैदावार है.और अँग्रेज़ के पेहले इन का नाम व निशान ना था.तो सब से पेहले हम उनकि हक़ीकत दिखाते है.
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उस्ससे पेहले ये बताना चाहते है के अँग्रेज़ ने सिर्फ और सिर्फ हिन्दुस्तान मे हुकुमत करने के लिये नाम निहाद ऐह्ले हदीस को पैदा किया.उसका सुबुत तो बोहोत है.और हम फेसबूक वासटअप्प के जाहिलो के पोस्ट से देगे.वो ये के मुक़ल्लिद तो दुनिया मे 99% है
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शाफ़ई
हम्बली
हनाफी
मालिकी
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तो सिर्फ हनाफी के खिलाफ़ ऐसे पोस्ट क्यू ????
सब के बारे मे सवाल होता के शाफाइ से पेहले मुसलमान थे ?
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हमबली से पेहेले मुसलमान थे ?
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मालिकी से पेहले मुसलमान थे?
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पर नही ऐसा नही क्यू के इन को पैदा ही हन्फियो कि मुखालिफत के लिये पैदा किया गया है.और ये लोग अपना काम को बखुबी निभा रहे है
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नाम निहाद ऐह्ले हदीस अँग्रेज़ कि औलाद है.इसका सुबुत ये है.अँग्रेज़ के खिलाफ़ जिहाद हराम. (अल इक़्तिसाल फ़ि मसाईल जिहाद) नाम से किताब लिखी और बोहोत सारे हवाले है
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उस मे से ऐक तरजुमा ऐ वाहाबिया सफा नम-11 पे लिखते है के अँग्रेज़ से जिहाद करने वाले ऐह्ले हदीस नही मुक़ल्लिद है
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जब अवाम को ये बात मालूम हो गइ तो अवाम ने ऐह्ले हदीस को वाहाबी चिडाना शुरु कर दिया.तब नाम निहाद के 1 मुल्ला ने अँग्रेज़ को दरखासत दी के वाहाबी नाम पे पाबनदि लगा कर हमारा नाम ऐह्ले हदीस कर दिया जाये.
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दरखासत मनज़ूर कर ली गई.तब से लेकर आज तक ये लोग अपने नाम पे फखर करते आये है.
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अँग्रेज़ से ऐह्ले हदीस नाम रखवाने का सुबुत खुद उनके घर से.
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सकेन पेज
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नाम निहाद ऐह्ले हदीस की कुच किताबे जो अँग्रेज़ के बाद कि
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आरफुल जादी (अँग्रेज़ के बाद)
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फतवा नज़ेरीया (अँग्रेज़ के बाद)
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फतवा सानिया (अँग्रेज़ के बाद)
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फतावा ऐह्ले हदीस (अँग्रेज़ के बाद)
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लोगातुल हदीस (अँग्रेज़ के बाद)
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नुज़ुलुल अबरार (अँग्रेज़ के बाद)
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अब्कर ऐ मनअन (अँग्रेज़ के बाद)
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फतावा सत्तारीया (अँग्रेज़ के बाद)
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तारक़ा ऐ मुहम्मदी (अँग्रेज़ के बाद)
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ये कुच किताबे है गैर मुक़ल्लिद के जो अँग्रेज़ो के बाद की है
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CHAILENGE
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अगर नाम निहाद ऐह्ले हदीस की झोलि मे अँग्रेज़ से पेहले की कोई 1 किताब है तो दिखाईये.अँग्रेज़ से पेहले अपना वजुद साबित करे
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अल्हम्दुलिल्लाह
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हमारी तो खुद गैर मुक़ल्लिदो ने साबित कर दी..हमारी किताबे अँग्रेज़ो के वजुद से कइ सो बरस पेहले की है
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जैसा के
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मुवात्ता इमाम मुहम्मद.189 हिजरी
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ताहावी शरीफ़.250 हिजरी
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कुदूरी
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दुरे मुखतार
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फतावा आलम गिरी
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किताब ऊल असर
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वागैराह
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अब अवाम पे ज़िम्मादारी है के वो फ़ैसला करे .कौन कब वजुद मे आया है.
तब्लिगी जमात की बे लौस खिद मत और इख्लास का एतिरफ़ गैर मुक़ल्लिद आलिम मुहिब्बुल्लाह शाह राशिदी कि ज़ुबानी
तब्लिगी जमात की बे लौस खिद मत और इख्लास का एतिरफ़ गैर मुक़ल्लिद आलिम मुहिब्बुल्लाह शाह राशिदी कि ज़ुबानी
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मश्हुर गैर मुक़ल्लिद आलिम मुहिब्बुल्लाह शाह राशिदी ने खुल कर तब्लीग जमात के काम और उन खिदमत का अतिराफ़ किया है..
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मुहिबुल्लाह शाह साहाब लिखते है…
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तब्लीग जमात पाकिस्तान के अलावा बैरुन मुल्क मे तब्लीग खिदमत अंजाम दे रही है..
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और इनकि बे लौस खिदमत और ईखलास की वजाह से हज़ारो मुसलमान सही तौर पर मुसलमान हो चुके है..
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वो अक़िदतन अम्लन मुसलमान हो गये है
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तब्लीग जमात की वजाह से हज़ारो मुसलमान सही तौर पर नमाज़ी बन रहे है.और बिहम्दिल्लाह जमात मे रोज़ बारोज तर्रक़क़ी होती रेह्ती है
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(मुक़लत रशीदिया.जि:1 सफा:155)
गैर मुक़ल्लिद आह्ले हदीस से तरावी पर सिर्फ एक हदीस का मुताल्बा ???
गैर मुक़ल्लिद आह्ले हदीस से तरावी पर सिर्फ एक हदीस का मुताल्बा ???
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गैर मुक़ल्लिद अह्ले हदीस का दावा है..वो सिर्फ कुरआन और साहि हदीस पर अमाल करते है.
ईस लिये ऊनसे मुतालबा है के वो अपना रमज़ान मे तरावी का अमल कुरआन और सही हदीस से साबित करे
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1=8 रकात तरावी
2=बा जमात
3=पुरा महीना
4=हर मस्जिद मे
5=तरावी मे खत्मे कुरान
6=दो दो रअकात कर के क्यू पड़ते हो
7=ईशा की नमाज़ के फ़ौरअन बाद क्यू पडते हो
8=रमज़ान का चाँद देख कर तरावी शुरू करते हो
9=ईद के चाँद पर तरावी खतम करते हो
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ऐसा किस दलील के करते हो ????
नोट-गैर मुक़ल्लिद का केहना है के अगर कोई अमल बिना सहि हदीस के की जाए तो वो बिदअत होता है
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अगर गैर मुक़ल्लिद के पास उन के पुरे तरावी वाले अमल की सहि हदीस नही है तो उन के मस्जिद मे जो तरावी के नाम पर रमज़ान का पुरा महीना अमल हो राहा है क्या वो बिदत है ???
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गैर मुक़ल्लिदओ अगर सही हदीस से अपना अमल साबित नही कर सकते तो मुसलमानो को गुमराह करना छोर दो
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